मालकांगनी के फायदे (Malkangni Benefits in Hindi )
मालकांगनी एक औषधीय वनस्पति है इसे ज्योतिषमति के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसके गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार कई रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद के महान ऋषि ने अपनी पुस्तक चरक संहिता में इस औषधि के कई रोगों में प्रयोग के बारे में वर्णन किया है। परंतु विशेष रूप से उन्होंने इस औषधि का प्रयोग शिरोविरेचनार्थ, अपस्मार, कुष्ठ और मिर्गी जैसे रोगों में विशेष रूप से औषधीय प्रयोग करने का वर्णन किया गया है। मालकांगनी का प्रयोग तेज दिमाग, कमजोरी दूर करना, और पुरुषों के रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।
मालकांगनी की प्रकृति गरम होती है इसके फूल पीले और हरे रंग के होते हैं और स्वाद में खाने में थोड़ा कड़वापन होता है। इसके फलों, पत्तों और जड़ों का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके बीजों को औषधि के लिए अधिक प्रयोग किया जाता है। गर्म तासीर के व्यक्ति को इसका प्रयोग अपना बल विचार करके या किसी वैद्य के निर्देशानुसार करना चाहिए।
मालकांगनी के पौधे पहाड़ों और ऊंचे स्थानों पर अधिक पाए जाते हैं। इसकी अधिक मांग होने के कारण किसान खेती के रूप में भी अब इसकी पैदावार करने लगे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग होने के कारण भारत से इसका निर्यात भी किया जाता है।
मालकांगनी के अन्य नाम
वानस्पतिक नाम : सिलाट्रस् पैनीकुलेटस ( celastrus Peniculatus Wild)
हिंदी : ज्योतिषीय, मालकांगनी
इंग्लिश : स्टाफ ट्री ( Staff tree )
संस्कृत : ज्योतिष्मति,पारावतपदी,
उर्दू : मालकांगुनी
तेलुगू : बावंची (Banvachi)
मलयालम : वालुलालम (Valulalam)
गुजराती : मालकांगणेश
उडिया : कटोपेसु,
मालकांगनी के फायदे -- Benefits of Malkangni in Hindi
• सिरदर्द में मालकांगनी के फायदे
कुछ लोगों को बार-बार सिर में दर्द होता रहता है यह एक प्रकार की बीमारी है। इससे निजात पाने के लिए हम मालकांगनी का प्रयोग कर सकते हैं। मालकांगनी के पत्ते और जड़ को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर लुग्दी बना लें और उसको सर पर लेप करने से सिरदर्द में तुरंत ही लाभ होता है।
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आंखों की बीमारी में मालकांगनी के फायदे (Benefits of Malkangni for eyes Disease in Hindi )
मालकांगनी के तेल से पैर के तलवों पर मालिश करने से आंखों के सभी रोग नष्ट होते हैं। और लगातार कुछ दिन ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती जाती है।
• फेफड़ों की सूजन में मालकांगनी के फायदे (Malkangni Uses to Get Relief from Lungs Swelling inHindi )
मालकांगनी की जड़ को पीसकर उसकी लुग्दी बना ले और उसे छाती पर लेप कर दें। ऐसा करने से फेफड़ों में आई सूजन और दर्द में राहत मिलेगी। परंतु इस स्थिति को थोड़ा गंभीरता से लें और ऐसे में किसी अच्छे वैद्य का परामर्श लें।
• पेट के रोग में मालकांगनी के फायदे ( Malkangni Benefits to cure Abdominal problems in Hindi )
मालकांगनी का तेल एक से पांच बूंद, सज्जीखार 60 मिलीग्राम तथा हींग 60 मिलीग्राम ले। इन्हें दूध के साथ 15 दिन या 1 माह तक लगातार सेवन करने से पेट के सभी रोग समाप्त होने लगते हैं। अच्छे परिणाम के लिए परहेज से रहे तली हुई और बाजार मैं बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। मैं आपको यह बात जोर देकर कहना चाहता हूं कि यदि आप कभी भी पेट के रोग से ग्रस्त हैं तो सबसे पहला इलाज अपने पास ही है।और वह है भूखे पेट रहना और बहुत कम मात्रा में हल्की फुल्की चीजों का सेवन करना । जैसे मूंग की दाल आदि, ऐसा करने से बहुत जल्द ही बिना औषधियों के भी पेट के रोगों को दूर किया जा सकता है। इसके विपरीत यदि आप परहेज से न रहें और उल्टा सीधा खाते रहें और उसके बाद रोग ग्रस्त होने पर दवाइयां भी खाते रहें तो औषधियों का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
• मासिक धर्म विकार में मालकांगनी सेवन के फायदे
( Benefits of Malkangni in Menstrual disorder in Hindi ) ---
गुड़हल के फूलों को कांजी के साथ पीस लें फिर उसमेंंं मालकांगनी के पत्तों को भून कर मिला लें। इस औषधि का कुछ दिन सेवन करने सेेे मासिक धर्म संबंधित रोग समाप्त हो जाते हैं और यदि मासिक धर्म रुका हुआ है तो आरंभ हो जाता है।
• नपुसंकता में मालकांगनी के फायदे ( Benefits of Malkangni in impotence in Hindi )
लगभग 2 ग्राम मालकांगनी के बीजों के चूर्ण को खीर में डालकर खाने से नपुसंकता दोष मिटने लग जाता है।
लगभग चार-पांच बूंद मालकांगनी के तेल को पान में डालकर दिन में दो बार खाने से भी नामर्दी जैसा रोग समाप्त होने लग जाता है।
• गठिया रोग में मालकांगनी के फायदे ( Malkangni benefits in Arthirits Treatment )
गठिया का रोग बहुत दुखदाई है।कई लोग इससे परेशान रहते हैं, इस रोग में जोड़ों में बहुत दर्द होता है और सूजन आ जाती है। इस रोग में मालकांगनी का प्रयोग किया जा सकता है। लगभग 4 ग्राम मालकांगनी के बीज का चूर्ण लेकर समान मात्रा में मधु मिलाकर सुबह-शाम लगातार कुछ दिन सेवन करने से गठिया जैसा भयंकर रोग समाप्त हो जाता हैं । और शरीर में अन्य बाई बादी (वात) के दोष भी ठीक हो जाते हैं। मालकांगनी के तेल से जोड़ों पर मालिश करनी चाहिए इससेे जोड़ों का दर्द और जोड़ों में आई सूजन समाप्त हो जाते हैं। गठिया रोग में इसका सेवन करते समय ठंडी तासीर की कोई चीज न खाएं। दही, छाछ ,चावल आदि का सेवन न करें।
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